*प्रतीकात्मक लेख*
(Dr in Army's view)
हमारा इम्यून सिस्टम क्या करता है वायरस को हराने के लिए ?
ज्यादातर लोग कोरोना वायरस से इन्फेक्ट होकर अपने आप ठीक हो जा रहे हैं। कैसे ? .
वास्तव में शरीर के अंदर एक बड़ा युद्ध होता है बाकायदा !
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#वायरस_का_हमला :
वायरस आया शरीर में, 4 दिन गले में रहा, फिर लंग्स में उतर गया, लंग्स में एक सेल के अंदर घुसा और उसके रिप्रोडक्शन के तरीके को प्रयोग करके खुद के clone (copies) बना लिए, फिर सारे clones मिलकर अलग अलग सेल्स को अंदर घुसकर ख़त्म करना शुरू करते है। अब तक बहुत सारे वायरस हो जाते हैं फेफड़ों में । मौत के निकट पहुँचने लगता है इंसान। शुरू में वायरस फेफड़ों के epithelial सेल्स को इन्फेक्ट करता है।
वायरस अभी तक जंग जीत रहा होता है।
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#शरीर_के_सेनापति_तक_खबर_पहुँचती_है :
हमारे शरीर का सेनापति होता है हमारा इम्यून सिस्टम,
इम्यून सिस्टम के पास सभी दुश्मनों का पुराना नया लेखा जोखा होता है कि किस पर कौनसा अटैक करना है, तुरंत एंटी-बॉडीज की एक सेना तैयार की जाती है और multi वायरस सेना पर हमले के लिए भेज दी जाती है।
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#एंटी_बॉडी_सेना_की_रचना :
एंटीबाडी सेना की रचना अटैक के तरीके को देखकर होती है,
अगर वह वायरस पहले अटैक कर चुका होता है तो उसकी एंटीबाडी रचना पहले से मेमोरी में रहती है और उसे तुरत वायरस को मारने के लिए भेज दिया जाता है।
अगर वायरस नया है जैसा कि कोविद 19 के केस में है, तो इम्यून सिस्टम हिट एंड ट्रायल से सेना की रचना करता है।
सबसे पहले भेजा जाता है हमारे शरीर के सबसे फेमस योद्धा "इम्मुनोग्लोबिन g" को,
ये शरीर की सबसे कॉमन एंटीबाडी है और ज्यादातर युद्धों में जीत का सेहरा इसी को बंधता है।
इम्मुनोग्लोबिन g सेना शुरूआती अटैक करती है वायरस सेना पर और उसे काबू करने की कोशिश करती है।
इस सेना को एंटीबाडी इम्मुनोग्लोबिन m सेना Cover फायर देती है जो अटैक की दूसरी लाइन होती है।
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#युद्ध_की_शुरुआत :
दोनों ही पार्टियों में,
भीषण युद्ध छिड़ता है । इम्मुनोग्लोबिन g वायरस पर बुरी तरह टूट पड़ता है और उसे बेअसर करने की कोशिश करता है,
Organ के जो सेल्स अभी तक ख़त्म नहीं हुए होते हैं उन्हें बचाने की कोशिश की जाती है ताकि वो सुसाइड ना कर ले,
लेकिन वायरस क्यूंकि अभी ताकतवॉर है इसलिए वो सेना की इम्यून सेल्स को भी इन्फेक्ट करना शुरू कर देता है, जो वायरस को अपनी जीत के तौर पर लगता है। लेकिन...
तभी आती है....
#इम्यून_सिस्टम_की_वानर_सेना :
इम्मुनोग्लोबिन g और इम्मुनोग्लोबिन m के अलावा हमारा इम्यून सिस्टम एक गुरिल्ला आर्मी भी छोड़ देता है खून में,
जिसमे तीन टाइप के प्रमुख योद्धा हैं,
पहले हैं B सेल्स, जो सामान्य सेना टाइप है, जैसे हर मिस्त्री के पास एक बंदा होता है जो सब कुछ जानता है ।
दुसरे हैं हेल्पर T सेल्स, जो मददगार सेल्स होते हैं, और बाकी सेल्स को हेल्प करते हैं,
तीसरे और सबसे इम्पोर्टेन्ट होते हैं किलर T सेल्स, जो शिवाजी की सेना की तरह चुस्त योद्धा होते हैं और आत्मघाती हमला टाइप करते हैं जिस से वायरस के छक्के छूट जाते हैं।
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#युद्ध_का_लम्बा_खिंचना :
जितना युद्ध लम्बा खिंचता जाता है उतनी ही मात्रा में B और दोनों टाइप के T सेल्स की मात्रा खून में बढ़ती जाती है।
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#ज़िन्दगी_और_मौत_का_फर्क :
*इंसानी मौत के ज्यादा चांस तब हैं जब उसका इम्युनिटी का सेनापति पहले से किसी और बीमारी से लड़ रहा हो,* जैसे कैंसर आदि।
ऐसे case में उसकी सेना को दो या ज्यादा fronts पर लड़ना होता है, और कहीं किसी front पर हार भी हो जाती है।
जब वायरस इम्यून सेल्स को इन्फेक्ट कर रहा होता है तो वह ट्रैप में फंसता रहता है, फिर इम्मुनोग्लोबिन g और इम्मुनोग्लोबिन m, खून से सप्लाई हो रही वानर सेना से मिल कर वायरस पार्टी को बुरी तरह ध्वस्त शुरू कर रही होती है,
इस लड़ाई ट्रैप वगैरह में कई दिन लग जाते हैं, इसलिए बीमार और वृद्ध व्यक्ति इतना अगर झेल गया तो बच जाता है वरना lungs बर्बाद हो जाते हैं और पहले से बीमार या वृद्ध व्यक्ति की मौत हो जाती है । लेकिन स्वस्थ इंसान में ऐसी संभावना कम होती है। वायरस की जीभ बाहर फिंकवा देता है हमारा इम्युनिटी सेनापति ।
इस युद्ध के दौरान इंसान को ज्यादा से ज्यादा आराम (Quarantine) करना होता है, ताकि सेनापति को युद्ध के अलावा बाकी चीज़ों की टेंशन ना लेनी पड़े।
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#इम्युनिटी_सेनापति_की_जीत :
जीत के बाद जश्न होता है, इस समय आपके खून में बी और टी सेल्स भारी मात्रा में होते हैं और सारे इकट्ठे "जयकार" बोल देते हैं ।
जीत होते ही यह पूरा घटनाक्रम इम्यून सिस्टम की मेमोरी की History में दर्ज़ हो जाता है ।
कुछ वायरस जो ताकतवर होते हैं उनका record आगे के लिए हमेशा के लिए लिख लिया जाता है । जैसे कि चिकनपॉक्स और पोलियो वाले का । जब भी ये शरीर पर दुबारा हमला करे तो कैसे जल्दी से निपटाना है इसको, ताकि देर ना हो जाए !
कुछ वायरस फालतू टाइप्स भी होते हैं जैसे जुकाम वाले इंफ्लुएंजा टाइप्स । उनको इम्यून सिस्टम मेमोरी महीना दो महीना रख कर रद्दी में फेंक देती है, कि फिर आएगा तो देख लेंगे दम नहीं है इस बन्दे में। इसीलिए इंसान को जुकाम होता रहता है साल दर साल, फिर भी सेनापति कम ध्यान देता है, क्यूंकि यह सेनापति के हिसाब से हल्का वायरस है, कभी भी इसे बिना पूरी सेना लगाए आसानी से ख़त्म किया जा सकता है ।
अन्य सामान्य छोटे मोटे रोगों (चोट लगना, fever, cough आदि) में सेनापति के एंटीबॉडीज आवश्यकतानुसार कदम उठाते रहते हैं, लेकिन सभी प्रकार की सेना को एक साथ आदेश देने का काम Commander आपातकाल में ही करता है।
धन्यवाद
एक डॉक्टर की कलम से