Tuesday, 29 March 2016

आयुर्वेद उपचार

[28/03 11:48] ‪+91 77758 71809‬: शहद और दालचीनी के इस्तेमाल से घटाएं वजन
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आज के समय में बढ़ा हुआ वजन एक आम समस्या बन चुकी है. हर कोई वजन कम करके फिट रहना रहना चाहता है. फिट होने का संबंध न केवल स्वास्थ्य से है बल्कि आकर्षक व्यक्तित्व के लिए भी यह बहुत जरूरी है.
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अपने बढ़े हुए वजन को कम करने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते. कुछ जिम का सहारा लेते हैं, कुछ योग अपनाते हैं और कुछ दवाइयों पर भरोसा करते हैं. सभी की यह ख्वाहिश होती है कि वजन जितनी जल्दी कम हो जाए, उतना बेहतर.
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पर वजन कम हो जाना, जादू नहीं है. इसके लिए आपको कुछ जरूरी परहेज और प्रयास करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही कुछ घरेलू उपाय भी हैं जिन्हें आजमाकर आप बढ़ी हुई चर्बी कम कर सकते हैं.
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वजन घटाने के लिए शहद के साथ दालचीनी का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है. शहद में पाए जाने वाले तत्व वजन घटाने में सहायक होते हैं.
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शहद में मिलने वाला फ्रक्टोज वजन घटाने में सहायक होने के साथ ही ऊर्जा के स्तर को भी बरकरार रखता है. यहअतिरिक्त चर्बी को घटाने में मददगार हॉर्मोन्स की मात्रा को बढ़ा देता है. रही बात दालचीनी की तो यह मेटाबॉलिज्म को सक्रिय कर देती है जिसकी वजह से कैलोरीज ज्यादा और जल्दी बर्न होती हैं.
वहीं दालचीनी का सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करने का काम करता है. आप चाहें तो दालचीनी और शहद को इन तरीकों से इस्तेमाल में लाकर वजन घटा सकते हैं:
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1. शहद, दालचीनी और पानी
वजन कम करने के लिए आप शहद, दालचीनी और पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह बेहद आसान और कारगर उपाय है. उबले हुए पानी में समान मात्रा में दालचीनी और शहद डालकर इसे अच्छी तरह मिला लें. इस पेय को खाली पेट पीने से कुछ ही दिनों में आपको फर्क दिखना शुरू हो जाएगा.
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2. शहद और दालचीनी
शहद और दालचीनी को एक साथ इस्तेमाल में लाकर भी वजन घटाया जा सकता है. दालचीनी को बारीक पीस लें और इसे शहद में मिलाकर खाएं. हर रोज एक चम्मच ये पेस्ट खाने से कुछ ही दिनों में परिणाम नजर आने लगेंगे.
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3. शहद, दालचीनी और नींबू का रस
वजन कम करने के लिए नींबू का रस भी काफी कारगर है. नींबू के रस को दालचीनी और शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल में लाने से दोगुना फायदा होता है. वजन कम करने के साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी संतुलित रखने में मददगार होता है.
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4. शहद, दालचीनी और ग्रीन टी
वजन कम करने के लिए बहुत से लोग ग्रीन टी पर भरोसा करते हैं. इसे शहद और दालचीनी के साथ मिलकार पीने से इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं. आप हर रोज इसे खाली पेट ले सकते है
[28/03 11:50] ‪+91 77758 71809‬: सत्तू : स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार

चना, मकई या जौ वगैरह को बालू में भूनने के बाद उसको आटा-चक्की में पीसकर बनाए गए चूर्ण (पावडर) को सत्तू कहा जाता है। ग्रीष्मकाल शुरू होते ही भारत में अधिकांश लोग सत्तू का प्रयोग करते हैं। खासकर दूर-दराज के छोटे क्षेत्रों व कस्बों में यह भोजन का काम करता है।

चने वाले सत्तू में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और मकई वाले सत्तू में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। इन दोनों प्रकार के सत्तू का अकेले-अकेले या दोनों को किसी भी अनुपात में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।

सत्तू के विभिन्न नाम

भारत की लगभग सभी आर्य भाषाओं में सत्तू शब्द का प्रयोग मिलता है, जैसे पाली प्राकृत में सत्तू, प्राकृत और भोजपुरी में सतुआ, कश्मीरी में सोतु, कुमाउनी में सातु-सत्तू, पंजाबी में सत्तू, सिन्धी में सांतू, गुजराती में सातु तथा हिन्दी में सत्तू एवं सतुआ।

यह इसी नाम से बना बनाया बाजार में मिलता है। गुड़ का सत्तू व शकर का सत्तू दोनों अपने स्वाद के अनुसार लोगों में प्रसिद्ध हैं। सत्तू एक ऐसा आहार है जो बनाने, खाने में सरल है, सस्ता है, शरीर व स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और निरापद भी है।

विभिन्न प्रकार के सत्तू

जौ का सत्तू : जौ का सत्तू शीतल, अग्नि प्रदीपक, हलका, दस्तावर (कब्जनाशक), कफ तथा पित्त का शमन करने वाला, रूखा और लेखन होता है। इसे जल में घोलकर पीने से यह बलवर्द्धक, पोषक, पुष्टिकारक, मल भेदक, तृप्तिकारक, मधुर, रुचिकारक और पचने के बाद तुरन्त शक्ति दायक होता है। यह कफ, पित्त, थकावट, भूख, प्यास और नेत्र विकार नाशक होता है।

जौ-चने का सत्तू : चने को भूनकर, छिलका हटाकर पिसवा लेते हैं और चौथाई भाग जौ का सत्तू मिला लेते हैं। यह जौ चने का सत्तू है। इस सत्तू को पानी में घोलकर, घी-शकर मिलाकर पीना ग्रीष्मकाल में बहुत हितकारी, तृप्ति दायक, शीतलता देने वाला होता है।

चावल का सत्तू : चावल का सत्तू अग्निवर्द्धक, हलका, शीतल, मधुर ग्राही, रुचिकारी, बलवीर्यवर्द्धक, ग्रीष्म काल में सेवन योग्य उत्तम पथ्य आहार है।

जौ-गेहूँ चने का सत्तू : चने की दाल एक किलो, गेहूँ आधा किलो और जौ 200 ग्राम। तीनों को 7-8 घंटे पानी में गलाकर सुखा लेते हैं और जौ को साफ करके तीनों को अलग- अलग घर में या भड़भूंजे के यहां भुनवा कर, तीनों को मिला लेते हैं और पिसवा लेते हैं। यह गेहूँ, जौ, चने का सत्तू है।

सेवन विधि : इनमें से किसी भी सत्तू को पतला पेय बनाकर पी सकते हैं या लप्सी की तरह गाढ़ा रखकर चम्मच से खा सकते हैं। इसे मीठा करना हो तो उचित मात्रा में शकर या गुड़ पानी में घोलकर सत्तू इसी पानी से घोलें।

नमकीन करना हो तो उचित मात्रा में पिसा जीरा व नमक पानी में डालकर इसी पानी में सत्तू घोलें। इच्छा के अनुसार इसे पतला या गाढ़ा रख सकते हैं। सत्तू अपने आप में पूरा भोजन है, यह एक सुपाच्य, हलका, पौष्टिक और तृप्तिदायक शीतल आहार है, इसीलिए इसका सेवन ग्रीष्म काल में किया जाता है।
[28/03 13:04] ‪+91 77758 71809‬: ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द (Breast pain) के कई कारण हो सकते हैं। इसे अंग्रेज़ी में मेस्टेलजिया (Mastalgia) कहा जाता है। यह ज़्यादातार आपके मासिक धर्मे के आसपास आता है और महावारी समाप्त होने के बाद चला जाता है। इसे अंग्रेज़ी में साइक्लिक दर्द (cyclic pain) कहा जाता है। लेकिन कई बार यह दर्द आपके मासिक धर्म से संबंधित नहीं होता है।
ब्रेस्ट में साइक्लिक दर्द (Cyclic pain in breasts)
ब्रेस्ट में साइक्लिक दर्द आपके हॉर्मोन में बदलाव के कारण होता है। यह दर्द अक्सर दोनों ही स्तनों में होता है। आपको ऐसा लगता है कि आपके स्तन भारी हो गये हैं या उसमें हल्का दर्द है। यह दर्द अक्सर आपके बगल तक या बाजू तक जाता है। मासिक धर्म आने से एक या दो दिन पहले यह दर्द बढ़ जाता है और पीरड्स समाप्त होने के बाद चला जाता है। इस दर्द के लिए आपको इलाज की ज़रूरत नहीं होती है। आप चाहें तो दर्द-निवारक गोलियाँ ले सकती हैं।
ब्रेस्ट में साइक्लिक दर्द अक्सर 30 से कम उम्र की महिलाओं में पाया जाता है।
ब्रेस्ट में नॉन-साइक्लिक दर्द (Non-cyclic pain in breasts)
कभी-कभी यह दर्द सिर्फ़ एक ही ब्रेस्ट में होता है और आपके मासिक धर्म के आसपास नहीं होता। अक्सर महिलाओं को ऐसा लगता है कि स्तन में एक तेज़ चुभन या जलन हो रही है। यह दर्द अक्सर सिस्ट (पुटिका) या फाइब्रोएडिनोमा के कारण होता है। सिस्ट में पस भरा होता है और इससे आपके ब्रेस्ट में दर्द हो सकता है। फाइब्रोएडिनोमा (Fibroadenoma) एक ट्यूमर होता है जो कैंसर नहीं होता है, लेकिन इसके कारण दर्द हो सकता है।
अगर आपको इस प्रकार का कोई दर्द है और आपको लगता है कि आपके स्तन में गाँठ सी है, तो हो सकता है कि आपके स्तन में एक सिस्ट हो गया हो या एक छोटा-सा ट्यूमर हो गया हो।
याद रखें कि तनाव, दवाओं और हॉर्मोन में बदलाव से आपके स्तन का दर्द बढ़ सकता है।
क्या ब्रेस्ट में दर्द कैंसर होता है?
बहुत कम ही होता है कि स्तनों में दर्द कैंसर के कारण हो। कैंसर के कारण दर्द तभी होता है जब आपके स्तन की गाँठ बहुत बड़ी हो जाए। तो अगर आपको दर्द हो रहा है, तो ज़्यादा संभावना है कि आपको कोई ऐसी गाँठ या सूजन है जो कैंसर नहीं है।
क्या ब्रेस्ट में दर्द इन्फेक्शन के कारण हो सकता है?
हाँ, इन्फेक्शन के कारण भी दर्द हो सकता है। ब्रेस्ट में इन्फेक्शन अक्सर उन महिलाओं को होता है जो दूध पिलाती हों। लेकिन उन महिलाओं में भी हो सकता है जो दूध ना पिलाती हों। ऐसे में आपको अपने ब्रेस्ट में दर्द के साथ सूजन नज़र आती है जो सेंकने से या दर्द की दवा लेने से कम हो जाती है।
क्या ब्रेस्ट में दर्द नस की तकलीफ़ से हो सकता है?
हाँ, अगर आपकी ब्रेस्ट की नसों पर बहुत भार पड़ रहा हो, तो यह दर्द हो सकता है। यह अक्सर तब होता है जब आप चलत-फिरते समय ब्रा न पहनती हों या बहुत ढीला ब्रा पहनती हों। यह तब भी हो सकता है अगर आप बहुत ही कसा हुआ ब्रा पहनती हों। इसके अलावा, आपके स्तनों के नीचे माँसपेशियाँ होती हैं। हो सकता है कि दर्द इसमें हो रहा हो। अगर आपको दर्द बहुत ही गहराई में लग रहा हो, तो शायद यह माँसपेशी से ही उभर रहा होगा।
ब्रेस्ट के दर्द के लिए क्या करें?
सेंधानमक वाले हलके गरम पानी से सिंकाई , एरंड का तेल से मसाज आपको लाभ दे सकता है कब्ज न रहने दें. संतुलित और पोषक आहार लें.
[28/03 20:44] ‪+91 77758 71809‬: `ड’ जीवनसत्त्वाचा अभाव

माणसाचे आरोग्य चांगले राहण्यासाठी जीवनसत्व `ड’ आणि कॅल्शियम या दोन्हींचे महत्व फार आहे. दोन्हींच्या अभावामुळे माणसाच्या प्रकृतीत अनेक प्रकारचे दोष राहून जातात. विशेषतः वृद्धावस्थेमध्ये हाडे ठिसूळ होणे, अस्थिभंग होणे किंवा सातत्याने हाडे दुखणे हे विकार तर या दोन घटकांच्या अभावामुळे सरसकट दिसून येतात. भारतामध्ये विशेष करून महिला आणि लहान मुलांमध्ये या दोन्हींचा अभाव मोठय़ा प्रमाणावर दिसून येतो. आपण सर्वसाधारणपणे असे मानतो की, कोणतेही व्हिटॅमीन किंवा कॅल्शियमसारखे पोषक अन्नद्रव्य गरिबांना उपलब्ध होत नाही पण पैसेवाल्या श्रीमंताना ते पैशांमुळे उपलब्ध होते.

एकंदरीत `ड’ जीवनसत्व आणि कॅल्शियमचा अभाव हा गरिबीचा परिणाम आहे, अशी आपली समजूत असते. मात्र अनेक डॉक्टरांनी प्रदीर्घ निरीक्षणाअंती निष्कर्ष काढला आहे की, ड जीवनसत्वाचा अभाव हा श्रीमंतांचाच रोग आहे. डॉक्टरांच्या मते ड जीवनसत्वाचे दोनच जीतेजागते स्रोत आहेत. एक आहे ऊन आणि दुसरे आहे फीश लिव्हर ऑईल. यातले ऊन आपल्या अंगावर पडल्यामुळे त्यातून ड जीवनसत्व भरपूर मिळते आणि फीश लिव्हर ऑईल खाण्यामुळे हे जीवनसत्व उपलब्ध होते. मात्र फीश लिव्हर ऑईल सर्वांना सर्वत्र उपलब्ध होईलच याची शाश्वतीही नाही आणि अनेकांना ते मानवतही नाही. आपल्या शरीरात ड जीवनसत्व तयार करण्याचा एकमेव मार्ग आहे. तो म्हणजे स्वच्छ सूर्यप्रकाश. माणूस श्रीमंत व्हायला लागला की सूर्यप्रकाश टाळायला लागतो. गरीब लोकांना उन्हातान्हात काम करावे लागते. त्याशिवाय त्यांचे पोटच भरत नाही आणि ऊन तर तापदायक असते. तेव्हा माणूस शिकून शहाणा होतो तेव्हा तो सावलीमध्ये बसून, फॅनचा वारा घेत काम करण्याची नोकरी मिळते का, याचा शोध घ्यायला लागतो. किंबहुना उन्हापासून बचाव करणारी नोकरी आणि काम मिळणे हे आपल्यासाठी सुखाचे लक्षण असते. आता आता तर केवळ फॅनच्या वार्याने भागत नाही. ए.सी. असावा लागतो. वातानुकुलित यंत्रणा आता इतकी सामान्य झाली आहे की, ती फार श्रीमंत लोकांची मक्तेदारी राहिलेली नाही. मध्यमवर्गीय लोकसुद्धा घरातली निदान निजण्याची खोली तरी वातानुकुलीत असावी यासाठी घरामध्ये ए.सी. बसवायला लागलेले आहेत. ऊन आणि उष्णता यापासून दूर पळण्यासाठी अनेक कार्यालयेसुद्धा वातानुकुलीत झाली आहेत. लोक ए.सी. कारमधून प्रवास करायला लागले आहेत. या ए.सी.मुळे ड जीवनसत्वाचा पुरवठा होत नाही आणि हे श्रीमंतीमुळे घडते. ड जीवनसत्वाविषयी बरीच चर्चा केल्यानंतर संशोधक आता अशा निष्कर्षाप्रत आले आहेत की, अंगावर दररोज किमान अर्धा तास सूर्यप्रकाश पडणे हा ड जीवनसत्वाचा अभाव घालवण्याचा सर्वात प्रभावी इलाज आहे.
[28/03 21:57] ‪+91 77758 71809‬: आहार सुधारिए, स्वस्थ्य रहिए.....…

1. हमारा आरोग्य मन, मस्तिष्क और पेट से जुड़ा हैं। 90 प्रतिशत रोगों का कारण हमारा पेट ही होता हैं। निर्मल विचार मन-मस्तिष्क को प्रसन्न रखते हैं और सात्विक आहार हमारे पेट को।
2. हम जैसा अन्न खाते हैं वैसा ही हमारा तन-मन होता हैं। सच्चाई तो यह हैं कि आप वैसा ही सोचते हैं, जैसा खाते है। इंसान के खानपान से ही उसके खानदान का पता चलता हैं।
3. आहार-विहार, शयन-जागरण, भोग और योग संयमित हो तो बेहतर रहता हैं। जो सीमित खाता हैं वह ज्यादा जीता हैं। इसलिए ज्यादा खाकर जल्दी मरने वालों से वह व्यक्ति ज्यादा खा सकता हैं जो कम खाकर ज्यादा जीता है।
4. कुछ लोग जीने के लिए खाते हैं, कुछ खाने के लिए जीते हैं। वह भोगी हैं जो खाने के लिए जीता हैं पर जो जीने के लिए संयमित खाता हैं वह योगी हैं।
5. अन्न प्राण हैं और प्राणदाता हैं पर इसको जरूरत से ज्यादा खा लिया जाए तो यही प्राणहर्ता भी बन जाता हैं।
6. आहार के चार चरण हैं- उगाना, पकाना, चबाना और पचाना। खेत से लेकर पेट तक होने वाली यह यात्रा अगर स्वस्थ हो तो अपना चिकित्सक व्यक्ति स्वयं होता है।
7. रसोईघर हमारे स्वास्थ्य का नियंत्रण-कक्ष हैं। कृपया किचन में किच-किच मत कीजिए। अग्निदेव के इस मंगलगृह में घर के सब सदस्य मिलजुल कर भोजन बनाइए और फिर उसे प्रभु का प्रसाद मानकर ग्रहण कीजिए।
8. स्वाद के लिए खाना अज्ञान हैं, जीने की लिए खाना बुद्धिमानी हैं, पर संयम की रक्षा के लिए खाना साधना हैं।
9. होटल में खाने से बचिए। याद रखिए, जो होटल में खाते हैं उनको होस्पीटल में मरना पड़ता हैं। फिर भी होटल में खाना खाने का मन कर रहा हो तो जहाँ खाना बनता हैं वहाँ जाकर देखिए फिर आप कभी होटल में खाना खाने का नाम भी नहीं लेंगे।
10. भोजन हमेशा सीधेकमर बैठकर कीजिए। औरों को खिलाकर खाइए और मौनपूर्वक भोजन कीजिए।
11. भोजन करते समय पेट को चैथाई खाली भी रखिए। कम खाइए, गम खाइए और सुखी रहिए। एक बार योगी खाता हैं दो बार भोगी खाता हैं और बार-बार खाने वाला स्वतः रोगी हो जाता हैं।
12. शादी-विवाह के भोज में ज्यादा गरिष्ठ भोजन मत कीजिए। उसने भले ही 40 तरह के आईटम बनाए हो पर आप उसमें से 10 का ही उपयोग कीजिए। यह सोचने की बेवकूफी मत कीजिए कि पराया माल मिलना दुर्लभ हैं शरीर तो फिर भी मिल जाएगा।
13. दोपहर के भोजन बाद भले ही आराम कीजिए पर शाम को भोजन करके जरूर टहल लीजिए। जहाँ तक हो सके रात्रि-भोजन से बचिए, आप जीवन में 100 बीमारियों से बचे रहेंगे।
14. भोजन में अन्न को आधा कीजिए, शाक-सब्जी को दुगुना लीजिए, पानी तिगुना पीजिए और हँसी को चार गुना कीजिए।
15. ज्यादा मिर्च-मसाले या तेल-घी वाले भोजन से दूर रहिए जिससे आपकी वृत्ति सात्विक बनी रहेगी।
16. घर में जो भोजन बना हैं उस पर किसी प्रकार की टिप्पणी मत कीजिए। प्रेम, शांति और आनन्द का भी भोजन के साथ स्वाद लीजिए।


मित्रों अगर आप आर्थिक मानसिक या शारीरिक रूप से परेशान हैं तो एक ज्योतिष सलाह जरूर लें अपनी श्रद्धा अनुसार दक्षिणा देकर आपका मित्र मुकेश आहार सुधारिए, स्वस्थ्य रहिए.....…

1. हमारा आरोग्य मन, मस्तिष्क और पेट से जुड़ा हैं। 90 प्रतिशत रोगों का कारण हमारा पेट ही होता हैं। निर्मल विचार मन-मस्तिष्क को प्रसन्न रखते हैं और सात्विक आहार हमारे पेट को।
2. हम जैसा अन्न खाते हैं वैसा ही हमारा तन-मन होता हैं। सच्चाई तो यह हैं कि आप वैसा ही सोचते हैं, जैसा खाते है। इंसान के खानपान से ही उसके खानदान का पता चलता हैं।
3. आहार-विहार, शयन-जागरण, भोग और योग संयमित हो तो बेहतर रहता हैं। जो सीमित खाता हैं वह ज्यादा जीता हैं। इसलिए ज्यादा खाकर जल्दी मरने वालों से वह व्यक्ति ज्यादा खा सकता हैं जो कम खाकर ज्यादा जीता है।
4. कुछ लोग जीने के लिए खाते हैं, कुछ खाने के लिए जीते हैं। वह भोगी हैं जो खाने के लिए जीता हैं पर जो जीने के लिए संयमित खाता हैं वह योगी हैं।
5. अन्न प्राण हैं और प्राणदाता हैं पर इसको जरूरत से ज्यादा खा लिया जाए तो यही प्राणहर्ता भी बन जाता हैं।
6. आहार के चार चरण हैं- उगाना, पकाना, चबाना और पचाना। खेत से लेकर पेट तक होने वाली यह यात्रा अगर स्वस्थ हो तो अपना चिकित्सक व्यक्ति स्वयं होता है।
7. रसोईघर हमारे स्वास्थ्य का नियंत्रण-कक्ष हैं। कृपया किचन में किच-किच मत कीजिए। अग्निदेव :के इस मंगलगृह में घर के सब सदस्य मिलजुल कर भोजन बनाइए और फिर उसे प्रभु का प्रसाद मानकर ग्रहण कीजिए।
8. स्वाद के लिए खाना अज्ञान हैं, जीने की लिए खाना बुद्धिमानी हैं, पर संयम की रक्षा के लिए खाना साधना हैं।
9. होटल में खाने से बचिए। याद रखिए, जो होटल में खाते हैं उनको होस्पीटल में मरना पड़ता हैं। फिर भी होटल में खाना खाने का मन कर रहा हो तो जहाँ खाना बनता हैं वहाँ जाकर देखिए फिर आप कभी होटल में खाना खाने का नाम भी नहीं लेंगे।
10. भोजन हमेशा सीधेकमर बैठकर कीजिए। औरों को खिलाकर खाइए और मौनपूर्वक भोजन कीजिए।
11. भोजन करते समय पेट को चैथाई खाली भी रखिए। कम खाइए, गम खाइए और सुखी रहिए। एक बार योगी खाता हैं दो बार भोगी खाता हैं और बार-बार खाने वाला स्वतः रोगी हो जाता हैं।
12. शादी-विवाह के भोज में ज्यादा गरिष्ठ भोजन मत कीजिए। उसने भले ही 40 तरह के आईटम बनाए हो पर आप उसमें से 10 का ही उपयोग कीजिए। यह सोचने की बेवकूफी मत कीजिए कि पराया माल मिलना दुर्लभ हैं शरीर तो फिर भी मिल जाएगा।
13. दोपहर के भोजन बाद भले ही आराम कीजिए पर शाम को भोजन करके जरूर टहल लीजिए। जहाँ तक हो सके रात्रि-भोजन से बचिए, आप जीवन में 100 बीमारियों से बचे रहेंगे।
14. भोजन में अन्न को आधा कीजिए, शाक-सब्जी को दुगुना लीजिए, पानी तिगुना पीजिए और हँसी को चार गुना कीजिए।
15. ज्यादा मिर्च-मसाले या तेल-घी वाले भोजन से दूर रहिए जिससे आपकी वृत्ति सात्विक बनी रहेगी।
16. घर में जो भोजन बना हैं उस पर किसी प्रकार की टिप्पणी मत कीजिए। प्रेम, शांति और आनन्द का भी भोजन के साथ स्वाद लीजिए।
[29/03 12:24] ‪+91 77758 71809‬: 1. पायरिया को ठीक करने के लिए टमाटर और गाजर का रस निकालकर पीने से दाँतों की बीमारी ठीक हो जाती है । तथा सरसों की २ या ४ बून्द लेकर इसमें बारीक़ नमक एक चुटकी डालकर इसका मंजन करने से दाँत का दर्द ठीक हो जाता है ।

2. दाँत के मसूड़े में से खून निकलने पर इसको रोकने के लिए थोड़ी सी फिटकरी भूनकर इसको बारीक़ पीस कर इसमें हल्दी मिलाकर इसका चूर्ण तैयार कर ले । इस चूर्ण को रोजाना मंजन के रूप में करने से मसूड़े का खून आना बंद हो जायेगा| और दाँत भी साफ हो जायेंगे ।

3. दाँतों को अधिक साफ करने के लिए तेजपात का चूर्ण तैयार करके इस चूर्ण को सप्ताह में एक या दो बार करने से दाँत बिल्कुल दूध के भाती सफेद या चमकते हुए दिखाई देंगे |

4. पायरिया को दूर करने के लिए तुलसी का उपयोग बहुत ही उपयोगी होती है । तुलसी के पत्तों को धुप में सुखाकर बारीक़ पीसकर इसका चूर्ण तैयार कर ले । इस चूर्ण में समान मात्रा में सरसों का तेल डालकर लेप की तरह तैयार कर ले । इस लेप को अपने हाथों की ऊँगली या ब्रश पर लगाकर करने से पायरिया की शिकायत ख़त्म हो जाती है । तथा मुँह से बदबू भी दूर हो जाती है | जब मनुष्य के दाँत हिलने लगे तो मनुष्य को अपने दाँत निकलवाने नही चाहिए । इसका उपचार आम के पत्तों से किया जा सकता है । ऐसे मनुष्य को आम के पत्तों को रोजाना चबाकर कुछ समय बाद थूक देना चाहिए । ऐसा करने से कुछ दिन बाद मनुष्य के दाँत हिलना बंद हो जाएंगे |                                                                                                  5. दाँत में खोड होने पर दाँतों में दर्द होने लगता है । इन दाँत के खोड में दर्द को रोकने के लिए लोंग के तेल में थोड़ी सी रुई को गिला करके अपने दाँत के खोड़ में लगाये । इस तेल उपयोग डॉक्टर भी करते है । इस तेल का उपयोग करने से दाँत का कीड़ा मर जाता है| और उस जगह पर दाँतों में चाँदी भर दी जाती है । जिससे ये खोड़ बंद हो जाता है ।

6. दाँतों में दर्द होने पर जल्दी आराम पाने के लिए दाल और चीनी का तेल निकालकर लगाने से दाँतों जल्दी आराम मिलता है । या फिर अमृत धारा में रुई को गिला करके दर्द वाले स्थान पर लगाने से काफी आराम मिलता है |

7. दन्त पीड़ा को ख़त्म करने के लिए नौसादर का चूर्ण बना ले । इस तैयार चूर्ण को दर्द वाले स्थान पर मसलने से दन्त पीड़ा ख़त्म हो जाती है ।
[29/03 12:26] ‪+91 77758 71809‬: खीरा :-
गर्मियां आ गई हैं और अब जररूत बड़ जाएगी शरीर में तरलता बनाए रखने की। ऐसे में खीरा सबसे अच्छा विकल्प है। खीरे के ये फायदे जानकर इसे रोज खाए बिना रह नहीं पाएंगे। खीरा आपके दिमाग को तेज रखता है और याद्दाश्त मजबूत करता है।
खीरा मुंह की दुर्गंध को भी रोकता है। ये बदबू पैदा करने वाले किटाणुओं से लड़ता है। आयुर्वेद ये भी कहता है कि खीरा खाने से पेट की गर्मी निकलती है, जो असल में मुंह में बदबू पैदा करती है।
खीरे में पानी और फाइबर की मात्रा खूब होती है जो पाचन के लिए जरूरी है। यानी ये खाना पचाने में मददगार होता है। खीरे में 96% पानी ही होता है, इसलिए अगर आप बार बार पानी नहीं पीना चाहते तो खीरा खा सकते हैं, ये शरीर में नमी बनाए रखेगा।
खीरे में कैलोरी कम होती है इसलिए इसे खा कर आप पेट भी भर सकते हैं और वजन बढ़ने का भी खतरा नहीं होता।
खीरे में कई तरह के विटामिन बी होते हैं जो तनाव से लड़ते हैं। यानी अगर आपको घबराहट महसूस हो रही हो तो खीरा खाएं।
खीरे में सिलिका नाम का तत्व होता है जो बालों और नाखूनों को स्वस्थ बनाता है। यानी खीरा खा कर आफ अपने बाल चमकदार बना सकते हैं और नाखूनों को मजबूत भी।
इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसलिए त्वचा भी अच्छी बनी रहती है। आंखों पर खीरे रखने से आंखों को ठंडक पहुंचती है। ये शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालता है और अगर इसे नियमित रूप से खाया जाए तो किडनी से स्टोन्स भी हटा सकता है।
[29/03 12:30] ‪+91 77758 71809‬: 4 बूंद नाक में डालो, बेहोश व्यक्ति तत्काल होश में आएगा -------

प्रकृति ने मनुष्य को ऐसे-ऐसे वरदानों से नवाजा है कि वह चाहे तो भी जीवनभर उनसे उऋण नहीं हो सकता है। तुलसी भी ऐसा ही एक अनमोल पौधा है जो प्रकृति ने मनुष्य को दिया है। सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं। आइये जाने कि तुलसी का पूज्यनीय पौधा हमारे किस-किस काम आ सकता है-
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तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोंश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।
- दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।
[29/03 15:57] ‪+91 77758 71809‬: कम उम्र मे बाल सफ़ेद होना-झडना :-
अक्सर लोग सफेद वालों की समस्या से परेशान रहते हैं, लोग महंगे कलर और कई प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये प्रोडक्ट बॉलों को और खराब करते हैं। हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे बता रहे हैं जिससे आपके बाल काले घने हो जाएंगे।


आंवला न केवल आपकी सेहत के लिए अच्छा होता है बल्कि इनके नियमित उपयोग से सफेद होते बालों की समस्‍या से भी निजात मिलती हैं। आवंले को मेंहदी में मिलाकर इसके घोल से बालों की कंडिशनिंग करें, तो सफेद बालों के लिए काफी लाभकारी है।


काली मिर्च के दानों को पानी में उबालकर उस पानी से बाल धोएं। इसके लंबे समय तक इस्तेमाल से फायदा होगा।


सफेद बालों को अगर आप ब्‍लैक टी या कॉफी के अर्क से धोएंगे तो आपके सफेद होते बाल दोबारा से काले होने लगेगें।


हिना और दही को बराबर मात्रा में मिलाकर पेस्‍ट बना लें और इस पेस्‍ट को बालों में लगाइये। इस घरेलू उपचार को हफ्ते में एक बार लगाने से ही बाल काले होने लगते हैं।


प्याज आपके सफेद बालों को काला करने में मदद करता है, नहाने से कुछ देर पहले अपने बालों में प्याज का पेस्ट लगायें। इससे आपके सफेद बाल काले होने शुरू हो ही जाएंगे, बालों में  चमक आएगी और साथ ही बालों का गिरना भी रुक जाएगा।
[29/03 16:51] ‪+91 97651 91150‬: अनुभव :– मैं किडनी ट्रांसप्लांट से कैसे बचा !
(बता रहे हैं - श्री ओम प्रकाशजी - फोन
नंबर 8097236254 - जिनको यही समस्या 2009 में आई थी.)

"How I Avoided Kidney Transplant."

जिन लोगो को डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी हो, या डायलसिस चल रहा हो तो उन्हे किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के पहले इस दवा का प्रयोग जरूर करके देखना चाहिए | हो सकता है कि ट्रांसप्लांट की नौबत ना आए।

बता रहे हैं श्री ओम प्रकाशजी जिनको यही समस्या 2009 में आई थी, और डॉक्टर ने उनको किडनी ट्रांसप्लांट करने के लिए बोल दिया था तो उन्होंने ना ही सिर्फ अपनी
किडनी को स्वस्थ किया बल्कि ऐसे अनेक लोगो
को भी इसका दम्भ झेलने से बचाया !

आइये जानते हैं, श्री ओम प्रकाशजी से….

किडनी ट्रांसप्लांट करवाना बहुत महंगा हैं ! और कुछ
लोग तो ये अफोर्ड नहीं कर सकते, और जो कर भी सकते हैं तो किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पहले जैसा जीवन नहीं बन पाता |

मैं 17 अक्टोबर 2009 से किडनी की समस्या से झूझ रहा था | अप्रैल 2012 मे मुंम्बई के नानावाती हॉस्पिटल के डॉक्टर शरद शेठ से
ट्रांसप्लांट की बात भी तय हो चुकी थी | लेकिन इसी दरमियान अखिल भारतीय शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के महासचिव डॉक्टर आर बी सिंह से मुलाकात हो गई और उन्होने कहा की यह काढ़ा 15
दिन पीने के बाद अपना फैसला लेना के आपको
क्या करना है |

मैने उनकी बात मानकर काढ़े का उपयोग किया और एक हफ्ते के बाद चलने फिरने मे
सक्षम हो गया तब से में अभी तक पूरी तरह से स्वस्थ
महसूस कर रहा हूँ | कोई दवा भी नही लेता हूँ और ना
ही कोई खाने पीने का परहेज ही करता हूँ, और ना ही किसी प्रकार की कमजोरी महसूस करता हूँ !

तो कौन सा हैं वो काढ़ा ! ? ! ... ... आइये जानते हैं ...

काढ़ा बनाने की विधि :-

पाव (250 ग्राम) गोखरू कांटा (ये आपको पंसारी
से मिल जायेगा) लेकर 4 लीटर पानी मे उबालिए | जब
पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और कांटा फेंक दीजिए | इस काढे को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए |

शाम को खाली पेट का मतलब है ! दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद | काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रूटीन पूर्ववत ही रखिए !

15 दिन के अंदर यदि आपके अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो
जाए तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा बंद कर दीजिए |
जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा काढे की मात्रा कम
कर सकते है या दो बार की बजाए एक बार भी कर
सकते है !

मुझे उम्मीद है की ट्रांसप्लांट का विचार त्याग देंगे जैसा मैने किया है !

मेरा ये अनुभव नवभारत टाइम्स में भी छाप चूका हैं!
जिसके बाद मुझे बहुत फोन आये और 300-400 लोगो को मैंने ये बताया भी जिसमे से 90 % से ऊपर लोगो को
आराम मिला !

अगर आप भी ये प्रयोग करना चाहे तो निश्चिन्त
हो कर करिये और अगर ऊपर लिखा हुआ समझ में ना आये या किसी प्रकार की शंका हो तो मुझसे मेरे फोन
नंबर 8097236254 पर भी सहायता मांग सकता है !

आपको आराम मिले तो आप दूसरे भाइयो को भी इसी प्रकार बताइये !

हम फालतू की पोस्ट तो बहुत करते है !

किसी को जीवन दे दे ऐसी पोस्ट करे भी और शेयर
भी करे क्या पता आपकी वजह से किसी जिंदगी बच
जाए !
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